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Showing posts from July, 2020

Just see your Emotions

All actions are influenced by our own emotions, and emotions are born from thoughts and thoughts are from seeing things outside, It happens in a few moments, We cannot even know just the only thing.  Understand that the reason for our sorrow is from someone else, And we keep searching for its cause in someone else, but this desire that we are creating inside ourselves by seeing something outside,   Due to which we have to suffer grief and sorrow.    Instead of finding out the reason for our grief, first we have to see for ourselves whether we have seen any emotion that has come from someone different than us, and we have done the work that is causing us grief.

सबसे बड़ा वहम

पहले तुम अकेले थे ___आज तुम्हारे साथ कोई है अगर कल को फिर से तुम अकेले हो जाते हो  तो दुख क्यों? पहले तुम अकेले थे इसलिए ?___ या कुछ पल तुम्हारे साथ कोई था इसलिए? जरा सा सोचोगे तो देख पाओगे की मीठा सपना बड़ा आनंद दायक होता है लेकिन सच तो यही है कि वो सपना है और सपना कुछ पल का ही हो सकता है फिर नींद टूटता है, अगर सही में सपना ही है तो नींद जरूर टूटेगा,, कितना जियोगे यार नींद में____ जो तुम्हारा है वो साथ केसे छोर सकता है, क्योंकि जो तुमहरा है वो कोई ओर नहीं बल्कि तुम खुद ही हो__और जब तक हम ज़िंदा है तब तक खुद का साथ नहीं छूट सकता और अगर छूट गया_ तो फिर वो तुम नहीं तुम्हारा सपना था**  और सपना को सपने के भांति देख लेना ही उससे मुक्त हो जाना है फिर उसे भूलने का कोशिश नहीं करना पड़ता ___फिर काहेका दुःख कहेका सुख़....... भार में जाए सब🤭😉 अगर कुछ पल साथ दे गया कोई __तो धन्यवाद दो उसे की तुमको सच ओर सपना का फर्क बोहत गहरा समझा गया जागो यार ___सपनों से जागो बोहत सपनों का नींद ले लिए फर्क कुछ नहीं पड़ता सिवाए दुःख के🥺 अगर सही में मौज चाहिए जीवन का ______तो जो है उसे धन्यवाद दो जो नही...

सच की वास्तविकता

इस जहां में जब जब कोई सत्य के वास्तविक छोर को पकड़ने चला है , तब उसे वो सारे तौर तरीके जो सामाज ने गड़ा है उसको लांगना पड़ता है।  तब वे सबके नज़रों में विद्रोही कहलाएंगे खास कर अपनो के नज़रों में। और यही वो सीढ़ी है जिसे पहला पारॉ भी कहा जा सकता है, उससे गुजरना पड़ता है। तभी होश बहुत ज़रूरी है,  नहीं तो घबराहट पकड़ेगी और  हम बचना चाहेंगे उपाय तब एक ही रह जाएगा क्रोध अगर हम क्रोध को पकड़ने दे खुद पे तो फिर हम वहीं आ जाएंगे जहां से रास्ता पे चले थे।