सच की वास्तविकता

इस जहां में जब जब कोई सत्य के वास्तविक छोर को पकड़ने चला है , तब उसे वो सारे तौर तरीके जो सामाज ने गड़ा है उसको लांगना पड़ता है। 

तब वे सबके नज़रों में विद्रोही कहलाएंगे खास कर अपनो के नज़रों में।

और यही वो सीढ़ी है जिसे पहला पारॉ भी कहा जा सकता है, उससे गुजरना पड़ता है।

तभी होश बहुत ज़रूरी है, 


नहीं तो घबराहट पकड़ेगी और  हम बचना चाहेंगे उपाय तब एक ही रह जाएगा क्रोध अगर हम क्रोध को पकड़ने दे खुद पे तो फिर हम वहीं आ जाएंगे जहां से रास्ता पे चले थे।

Comments

Popular posts from this blog

Agar Kuch Bada bohat bada karna chahte ho to .....pehla jaan to lo ki tum ho kya? tumhare liye bada hai kya? 🙁

सेक्स ऊर्जा(Sex Energy)