मोहब्बत राधा की है, तो मीरा की इबादत है इश्क❤️

 ठीक से देखो तो मोहब्बत राधा की है , मगर कुछ तो बात मीरा की  भी गजब थी ,
 राधा के पास तो कृष्ण थे उनके बांसुरी का धुन था, राधा के मोहब्बत तो बेशक खूब थी मगर उस खूबी का कारण कृष्ण की मौजूदगी थी.....
 
पर बात मीरा की देखो तो यहां पूरा रंग ही अलग ....कृष्ण का तो कुछ पता नहीं
 .... हा ! मीरा के चलते कृष्ण का अभीरभाव जरूर हुआ क्यूंकि मीरा का जन्म कृष्ण के जन्म के बहुत बाद हुआ .....उस वक्त कृष्ण का नाम किसी किसी होटों से सुना जाता था....पर मीरा ने क्या गजब रंग लाई खुद को कृष्ण मै ऐसे धाल ली जैसे मीरा मिट ही गई ...प्रकट हो गया कृष्ण मीरा मे ....और बात बन गई इबादत की..

 

.इसे ही तो मै कहता हूं मोहब्बत बन गई इबादत और प्रकट हों गया इश्क .....

और इश्क कोई ऐसा वैसा इश्क नहीं.... जिसमे दो की ज़रूरत हो ....ज़रूरत की तो बात ही छोड़ दो ...ज़रूरत तो रहती ही तब है जब हम खुद को किसी से अलग माने...पर बात यहां मीरा की है....मीरा के हर सांस में कृष्ण ही सांस लेते थे....


राधा की मोहब्बत में  मीरा की बात हो है नहीं सकती .... राधा की प्रेम तो भक्ति की परोकाष्ठा है ... जहां प्रतीक्षा ही एकमात्र साधन रह जाता है ..राधा की बात ही अद्भुत है...तभी तो राधा के साथ कृष्ण का नाम आता है ...


असल में मीरा के साथ कृष्ण का नाम नहीं आ सकता क्यूंकि वहा दो रहा ही नहीं....

मीरा का अनुठापन एक; है बस एक; वहा दो; की कोई गुंजाइश नहीं...और वहीं राधा एक नहीं दो है जहा कृष्ण साथ मै है...और ये साथ ऐसा की .....

है : भी  और  नहीं : भी ....

है : इसलिए की मोहब्बत एक स्वतंत्र एहसास है,... जो हर वक्त नहीं हो सकता, यह एक धुन की तरह आती है, एक संगीत की तरह आती है, और इसी आगमन को राधा पहचान सकती थी,

और इसी धुन के साथ और संगीत के साथ राधा एक हो सकती थी। खो सकती थी कृष्ण में, हो जाती थी कृष्ण का। जो मोहब्बत का एक अलग ही खूबी है, जिसे सिर्फ राधा समझ सकती थी। 

और,

     नहीं : इसलिए क्यूंकि जब एहसास नहीं रहता प्यार का, मोहब्बत का तब राधा कृष्ण से गुस्सा नहीं होती थी...राधा शुद्ध भाव से उस एहसास का प्रतीक्षा करती थी।

 मै इसी प्रतीक्षा को भक्ति कहता हूं ; ...

     और यह प्रतीक्षा ऐसी है कि यहां कोई जल्दबाजी नहीं है... और यह प्रतीक्षा सिर्फ राधा नहीं कृष्ण भी करते थे, तभी तो बात बनती थी तभी तो बांसुरी का धुन पैदा होता  था तभी तो संगीत निखरती थी तभी तो राधा उस एहसास के साथ एक हो सकती थी तभी तो राधा के साथ कृष्ण जुड़ सकते थे।


 राधे कृष्ण राधे कृष्ण.....❤️🙂


                                                                     

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