सेक्स तो संपदा है और उसी संपदा की आखरी छोर ब्रम्हचर्य है
हो सकता है आपको हेडिंग देख कर झटका लगे पर हो सके तो थोड़ा सा समय लेके पढ़ लेना🙏
क्या आपको पता है?
सेक्स हमरे अंदर मुफ्त में मिली सबसे अनमोल ओर मूल्यवान सम्पत्ति है
और हमारी आदत है हम मुफ्त में मिली चिजो का कदर नहीं करना जानते____और ये आदत हमे दिलाई गई है, सिखाई गई है जिसका परिणाम आज हमारे सामने है
सेक्स को हम बिना जाने, बिना समझे इतना नीचे ओर गंदे नज़रों से देखते है , जिसके कारण आज दुनिया में ९० फीसदी से ज्यादा लोग सेक्स से ग्रसित है, जब की ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए था।
और___ हमारे समाजिक तौर भी कुछ ऐसा है कि इस विषय में बात करने में हमे शर्म महसूस होता है,
जरा सोचो____
जिससे पूरी कि पूरी सृष्टि का निर्माण हुआ है, बल्कि जिसके लिए हम आज यहां है उसे ही शर्मसार बना चुके है बिना जाने समझे
हमारे सारे तथाकथित पंडितो जो बड़े बड़े भाषण देते है कि ब्रम्हचर्य को साधो सेक्स के जाल में मत फसो_____ ये सब उन्हीं पंडितो का किया कराया हुए साजिश है , खुद तो जान नहीं सके और समाज को भी पूरा अंधा पट्टी पढ़ा दिए___
और___
मै यह कहना चाहता हूं कि जो भी ये ब्रम्हचर्य की बात जोरो सोरो से करते है उन्हें सेक्स के बारे में रत्ती भर कुछ मालूम नहीं बल्कि वो भी सेक्स से पीड़ित है और उसे दबाए जा रहे है,
____ध्यान रहे सृष्टि का नियम है आप जो भी अपने अंदर दबाओगे वो एक रोग में परिवर्तन हो जाएगा और आपको रुग्ण कर देगा, जिससे आप स्वतंत्र महसूस नहीं कर सकते
तो मैंने यह तय किया की इसके बारे में कुछ थोड़ी सी बात करूंगा हो सकता है आप में से बोहतो को गलत लग सकता है पर मेरे खयाल से
आज हम सब के पास इतना समझ तो जरूर है कि हर चीज को बारीकी से समझ पाए और उस पर खुद विचार करे
तो सबसे पहली बात तो____,,,
सम्मान का भाव ____ खूब सम्मान कि भाव से भर जाओ
और दूसरा सूत्र है____
°°प्रेम का निरंतर विकास__ की केसे हम प्रेम को अपने में बढ़ाते जाए एक खोज हमेशा रहे
इससे होगा ये की___
जितना प्रेम बढ़ेगा उतनी सेक्स की शक्ति प्रेम के मार्गो से प्रभावित होने लगेगी___ वहीं शक्ति जो सेक्स था वो प्रेम के डायमेंशन में कन्वर्ट होने लगेगी_______
और,,,,,
धीरे धीरे आप पाएंगे सारी सेक्स कि शक्ति प्रेम की फूल बनने लगी है____ जरा सा समय लगेगा इससे घबराना नहीं क्योंकि ये आदत बोहत ही मजबूत है इसे समय देना जरूर टूटेगी ____
और जब टूटेगी तब
___ जीवन प्रेम के फूलों से भर गई होगी एक अपुर्भ आनंद की झलक शुरू होने लगेगी जो हम बाहर खोजते रहते है और मिलता कहीं नहीं क्योंकि हमारी आनंद कि मात्रा हमे ही पता होगा बाहर से हमे कोई नहीं दे सकता वो हमारे अंदर ही मौजूद है _____ वो ही मिलने लगेगा ,
तो अंत में ये कहना चाहता हूं की_____सिर्फ प्रेम को उपलब्ध व्यक्ति ही ब्रम्हचर्य को उपलब्ध होता है।
जितना बड़ा प्रेम उतना बड़ा ब्रम्हचर्य ।
वैसे तो बात बहुत लिखा जा सकता है पर आज के दौर में कोई इतना देर तक किसी चीज को पढ़े ये संभव नहीं पर ये भी काफी लंबा लिखा तो बस यही स्टॉप करते है .... ____
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